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22 Jul 2020 · 1 min read

चाय पर दोहे

आयें पढ़ कर छात्र सब, पियें चाय दिनरात।
कम हों सारी मुश्किलें, जीतें जग हर प्रात।

मिलती ऊर्जा चाय से,सुस्ती करती दूर।
समय बितायें चैन से,जीवन में भरपूर।

चायपान करिये सभी ,जन जन का है पेय।
रोजीरोटी घर चले, पालन पोषण धेय।

सदा रेल चलती रहे, भूख प्यास को भूल ।
तय दूरी करती रहे,पियें चाय सब कूल

नींद भगाते चाय से,छात्र रात में रोज।
पढ कर साहब सब बनें,चाय पियें सब खोज।

भेद भाव करिये नहीं, चाय पियें सब लोग।
मेलजोल एका बढे,ऐसा अद्भुत भोग।

आव भगत मत कीजिये,चाय छोड़ यदि आय।
क़िस्मत फूटी कह रही,चाय न छोड़ी जाय।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

Language: Hindi
4 Comments · 2607 Views
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