Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Jul 2020 · 1 min read

बे जुबां की आवाज

ऐ मानव तु मालिक नहीं किसी के जान लेने का
तु भी तो है एक जीव ही फर्क केवल है मानव का
क्या लेकर तु आया है और क्या लेकर तु जायेगा
समय तेरा भी आएगा क्या होगा फिर पछताएगा
खुद को तु मालिक न समझ मालिक नहीं बन पायेगा
हम तो ठहरे जंगल बुद्धि के तेरे पास किताबी ज्ञान
क्या ऐसी कोई किताब नहीं जो तुझको ज्ञान प्रदान करे
हे लेखक लिख ऐसा लेखा जिसे मानव पढ़के इंसान बने
एक समय यह आया है एक समय फिर आयेगा
मुझसे तु क्यों लड़ता है मुझसे कुछ न पायेगा
मानव तु जितना प्यार करे अपने बच्चे से
उतना ही प्यार था मुझे अपने बच्चे से।
कहता है हम ज्ञानी ज्ञान नहीं है खाने का
क्या तु भी ऐसा खाता है जैसा मुझे खिलाया था
बम खिलाकर क्यों मारा मुझको बैर मेरा क्या तुझसे था
बच्चा मेरा पूछे मुझसे माँ कैसा ये खाना था।
जिसने मुझको जन्म से रोंका सच्च में क्या वो मानव था
समय एक ऐसा आएगा मानव तु न बच पायेगा
जिसपे तेरा जीवन है क्षण में जलमय हो जायेगा

संजय कुमार✍️✍️

Loading...