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20 Jul 2020 · 1 min read

~~◆◆{{◆◆फिरसे◆◆}}◆◆~~

दिल चला है मोहब्बत की राह पर,
नैन मिले सावन की बरसात के माह पर.

अलग ही रंगत है मेरे चेहरे पे,वक़्त रुक गया एक खास जगह पर.

बेरंग सा पड़ा था हरा भरा गुलिस्तां,बहार आगयी ख्वाबों में फ़िज़ा पर.

सिमट के रह गए वो शरीक,जो खुश हो रहे थे कभी मेरी सज़ा पर।

अब वो भी हैरान है,छोड़ गया था जो मेरी चाहत अपनी ही वजह पर.

मेरी तो अब बात ही अलग होगयी,उड़ता फिर रहा हूँ एक परी संग हवा पर।

दुख तो मैंने भी बहुत झेले थे इस प्यार में टूटकर,लेकिन अब बड़ा आ रहा है फिरसे मज़ा पर।

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