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12 Jul 2020 · 1 min read

बढ़ती जनसंख्या–एक चिंता…

आबादी नित बढ़ रही, चिंता की है बात ।
रोजगार मिलता नहीं, बिगड़ रहें हालात ।।

शहर शहर भीड़ बढ़ती, कम पड़ते आवास ।
भेड़ बकरी सम रहते, चुभती मन में फाँस ।।

जंगल कटते जा रहें, पशु पक्षी भयभीत ।
प्राकृति बनकर आपदा, गाती हैं नित गीत ।।

कारखाने विष उगले, लोग बनते शिकार ।
तड़प तड़प कर रोग से, जीवन जाते हार ।।

सीमित परिवार सबका, एकल हो संतान ।
लालन पालन खूब हो, सदा रहे मुस्कान ।।

——जेपी लववंशी, हरदा, म.प्र.

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 542 Views
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