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28 Jun 2020 · 1 min read

सियासत

ये सियासी लोग अपनी सियासत करते ही रह जाएंगे।
बेगुनाह मजदूर पैदल चलते चलते मरते रह जाएंगे।।

तमाशा सज रहा हैं चमन में रोज बेगुनाह की लाश का,
ये समाज के ठेकेदार बस इंतजाम करते ही रह जाएंगे।।

काले धन को अगर अब भी तुमने छिपाकर रखा तो,
कौन से नाजायज बच्चे तुम्हारे उससे फिर पाले जाएंगे।।

चारों तरफ जब मौत की शहजादी नाचेगी घूम घूमकर,
फिर किस नुमाइश में तुम्हारे कारनामे सुनाए जाएंगे।।

अपनी बादशाहत पर गुमान करने वाले सियासी लोगों,
बताओ किस इतिहास में तुम्हारे किरदार लिखे जाएंगे।।

जिस दिन भी होगा जनाजा-ए-सफर मुकम्मल तुम्हारा,
दोनों हाथ तुम्हारे उस रोज खाली के खाली रह जाएंगे।।

ऐ मौला कर दे इंसानों को अब हैवानियत से स्वतंत्र,
नहीं तो तेरी कायनात में बस सन्नाटे ही रह जाएंगे।।

© मोहित शर्मा “स्वतंत्र गंगाधर”

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