Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2020 · 2 min read

किताबी दोस्ती

मैं अक्सर बेहतर तलाश कर ही लेती हूँ, इन किताबों की भीड़ में! एक बेहतर किताब को अपना दोस्त बना ही लेती हूँ ।
हाँ… मेरा कोई दोस्त नहीं ।पर
इनसे बेहतर कोई इतना करीब भी नहीं । और कभी-कभी तो किसी किताब के कवर को निहारते हुए कुछ पन्ने, यूं ही शब्द, पढ़ लेती हूँ, और ये बात पता होते हुए भी कि ये मुझे अपनी ओर खींच लेंगे । इसमें कुछ गलती मेरी है तो कुछ किताबों की भी l मैं उससे जुदा नहीं होना चाहती और वो मेरे हाथो में रहने की ज़िद करती हैं । हाँ ……सच्ची किताबें भी ऐसा करती है, एक अच्छे दोस्त की तरह सच्ची दोस्ती निभाती है और हमेशा अच्छी सलाह भी देती है l मेरे इनसे मिलने की कुछ ही चुनिंदा जगह हुआ करती है, जहाँ इनसे बातें करना बहुत ही अच्छा लगता है –
बालकनी में आराम कुर्सी पर बैठ एक हाथ में कॉफी और दूजे हाथ में इसे पकड़कर इससे रूबरू होना ।
या तब, जब कभी आसमान द्वारा सूरज की किरणों को अपने वश में कर लिया जाता है और मौसम को एक नया रूप दे दिया जाता है जिसमें गीली मिट्टी की महक हो और फिज़ाओं में गुनगुनी हवा की लहर l तब कभी चली जाती हूँ घर की छत पर उस झूले पर बैठकर इनसे रूबरू होने l और पता है, ये वही झूला है जो पहले हवा के झोकों से हिलने पर चूं चूं की आवाजें किया करता है , पर इस आवाज से भी मुझे कभी परेशानी नहीं हुई इन किताबों को पढ़ने में । अक्सर ऐसे मौसम में आकर यहाँ किताबों के साथ गुफ्तगू करना बड़ा सुकून देता है ।
कमरे में रखी बुक शेल्फ पर ढेरों किताबे मुझे रोज़ ताकती है , कभी किसी एक को छूती हूँ तो मानो ऐसा लगता है कि बाकी किताबें नाराज़ हो गई हों ।
मेरी ड्रेसों से भी ज्यादा किताबें है मेरे पास , मां अक्सर डाँट देती है मुझे, जब कभी उनके साथ बाजार जाती हूँ, सब्जी खरीदने ,तो “माँ , मैं अभी आती हूँ”,कहकर, पास उस नीम के पेड़ के पीछे बुक स्टोर पर चली जाती हूँ और जल्दी से कोई एक किताब खरीद ले आती हूँ, जब घर जाकर थैले में से सब्जियों के साथ किताब निकलती है , फिर क्या , फिर दोनों को डाँट पड़ती है , मुझे और एक मेरी दोस्त इस किताब को ।
माँ का चिल्लाना भी लाजमी है , ना घर से बाहर कहीं जाती हूँ और ना अपने कमरे से । दिन भर कभी इस किताब से गपशप की तो कभी उससे कुछ बातचीत और ऐसे ही में अपना टाइम निकाल देती हूँ । पढ़ना अच्छा लगता है मुझे । खुद में व्यस्त रहना अब आदत सी बन गई है मेरी।
ऐसी ही रहती हूं में जैसी दिखती नहीं हूं में….।

Language: Hindi
3 Likes · 434 Views

You may also like these posts

"फलसफा"
Dr. Kishan tandon kranti
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
🍁तेरे मेरे सन्देश- 9🍁
🍁तेरे मेरे सन्देश- 9🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मासूम शैशव पुनीत रहे
मासूम शैशव पुनीत रहे
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं......
वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं......
डॉ. दीपक बवेजा
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
भिखारी का कटोरा(कहानी)
भिखारी का कटोरा(कहानी)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"राज़ खुशी के"
ओसमणी साहू 'ओश'
आप ही बदल गए
आप ही बदल गए
Pratibha Pandey
“बायोमैट्रिक उपस्थिति”
“बायोमैट्रिक उपस्थिति”
Neeraj kumar Soni
अपना कहूं तो किसे, खुद ने खुद से बेखुदी कर दी।
अपना कहूं तो किसे, खुद ने खुद से बेखुदी कर दी।
श्याम सांवरा
2515.पूर्णिका
2515.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अब नरमी इतनी भी अच्छी नही फितरत में ।
अब नरमी इतनी भी अच्छी नही फितरत में ।
Ashwini sharma
শিবকে নিয়ে লেখা গান
শিবকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
धीरे चल ज़िंदगी
धीरे चल ज़िंदगी
Meenakshi Bhatnagar
मां का दर रहे सब चूम
मां का दर रहे सब चूम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
गांधी के साथ हैं हम लोग
गांधी के साथ हैं हम लोग
Shekhar Chandra Mitra
#आज_का_मुक्तक
#आज_का_मुक्तक
*प्रणय*
Perhaps the most important moment in life is to understand y
Perhaps the most important moment in life is to understand y
पूर्वार्थ
मां तुम्हारा जाना
मां तुम्हारा जाना
अनिल कुमार निश्छल
मेरी झोली मै कुछ अल्फ़ाज़ अपनी दुआओं के डाल दे ...
मेरी झोली मै कुछ अल्फ़ाज़ अपनी दुआओं के डाल दे ...
Neelofar Khan
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
Shweta Soni
मुक्ति
मुक्ति
Shashi Mahajan
वृक्षारोपण
वृक्षारोपण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
वंदना
वंदना
पंकज परिंदा
अनकहा रिश्ता (कविता)
अनकहा रिश्ता (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
Sahil Ahmad
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
Rj Anand Prajapati
जय हनुमान
जय हनुमान
Sudhir srivastava
मौन के प्रतिमान
मौन के प्रतिमान
Davina Amar Thakral
Loading...