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23 Jun 2020 · 1 min read

नफरत

नफ़रत की आग वो दिल मे कुछ ऐसे जलाए बैठे है ..
जैसे दुआ के बदले बद्दुआ की मन्नत मनाये बैठे है..!
कई बार देखा खुद के सर को झुकाकर उनके सामने ,
मगर आलम ये है, कि वो हर बार खंजर चलाये बैठे है ..!!

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