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22 Jun 2020 · 1 min read

माँ

बेहतर तो कोई इंसान नहीं होगा।
कोई माँ से अधिक महान नहीं होगा।

देखा कभी नहीं उसको पर लगता है,
माँ से प्यारा तो भगवान नहीं होगा।

मेरे सिर पर माँ के आँचल का पल्लू,
दुनियाँ में मुझसा धनवान नहीं होगा।

ममता करुणा दया दुलार प्यार ये सब,
इक घर में इतना सामान नहीं होगा।

घर की रौनक, माँ की लोरी -मुस्कानें,
स्वर्ग भी इससे आलीशान नहीं होगा।

कर सकना तो माँ पर वक़्त लुटा देना,
इससे बढ़कर जप -तप -दान नहीं होगा।

संजय, वह दिल बदकिस्मत होगा जिसमें,
माँ की सेवा का अरमान नहीं होगा।

संजय नारायण

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