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20 Jun 2020 · 1 min read

जिंदगी थोड़ासा रुक जा।

क्यों बदल रही है जिंदगी,
जरा सा रुक जा।
नहीं संभाल पा रही मैं खुद को,
थोड़ा सा थम जा।
बहुत रास्ते चले हैं बस,
इसलिए थोड़ा सहम जा।
कल की बात तो याद नहीं,
पर आने वाले कल को समझ जा।
वरना आज भी जानती हूं,
पर नम आंखों को समझ जा।
खोकर भी हिम्मत जुटा रही,
जादू की तरह तू मेरे लिए बदल जा।
मैं थकती नहीं जानती मेरी,
पर संभाल के साथ ले जा।
रंग बदल तो रहा है पर,
जिंदगी तू थोड़ा सा रुक जा।।

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