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18 Jun 2020 · 1 min read

रंग रूप के दरवाजे पर…

रंग रूप के दरवाजे पर,
कब से घायल इश्क पड़ा है!!

आँखों के खारे पानी में,
निज सपनों का तर्पण करके।
स्वाभिमान का कटा हुआ सर,
उसको सादर अर्पण करके।।

गुमनामी की चादर ओढ़े,
गुमसुम पागल इश्क खड़ा है।।

मस्ती की हाला का प्याला,
पीकर दिल में दर्द छुपाए।
अपने झुके हुए कंधों पर,
बदनामी का बोझ उठाये।

महबूबा से मिलने की जिद,
जिद पर रायल इश्क अड़ा है।

पीड़ा के संदेश सहेजे,
अपने मन की अलमारी में।
अंगुल अंगुल खार रोपकर,
खुशियों वाली हर क्यारी में।।

खोकर अपनी शक्ति पुरानी,
पहने पायल इश्क खड़ा है।।

प्रदीप कुमार

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 1 Comment · 246 Views

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