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27 May 2020 · 1 min read

ग़ज़ल- पैरों में छाले हैं

ग़ज़ल- पैरों में छाले हैं
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सत्ताधीशों के हाँथों में प्याले हैं
लेकिन लोगों के पैरों में छाले हैं

चलते-चलते चाहे कोई मर जाये
उनका क्या वे उड़नखटोले वाले हैं

वे नेता हैं जितना चाहें बोलेंगे
जनता के मुँह पर तो सौ सौ ताले हैं

मज़दूरों का हाल नहीं देखा जाता
जो गोरे थे हो कर आये काले हैं

अब “आकाश” कहाँ जायेंगे फ़रियादी
अंधेरों की ज़द में आज उजाले हैं

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/05/2020

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