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17 Sep 2021 · 1 min read

तीन शेर

लुटा दी जान मजहब पर, मुहम्मद के नवासों ने।
शहादत आज है उनकी, मुहर्रम लोग कहते हैं।

मिला बोसा जबीं पर आज तेरी माँ की ममता में,
मुहब्बत है, मुहब्बत है, मुहब्बत है, मुहब्बत है।

इसे महसूस कर बेटा, तुम्हारी माँ की ममता है,
मुबारक हो, मुबारक हो, खुदा अब साथ है तेरे।

सन्तोष कुमार विश्वकर्मा ‘सूर्य’

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