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12 May 2020 · 1 min read

नारी का हर रूप महान

सृजन शीलता जिसका गुण है ।
जो है आदर्शों की खान ।।

जिसके है कई रूप जगत में ।
नारी का हर रूप महान ।।

अपने सारे कष्ट भुलाकर ।
परहित के हित जीती है ।।

अपना अमृत दान करे वो ।
सदा स्वयम विष पीती है ।।

दया क्षमा और करुणा के ।
सागर हिय में है भरे पड़े ।।

कभी बनी वह रणचंडी ।
न हारी जितने युद्ध लड़े ।।

नारी से है शोभा जग की ।
और उसी से नर की शान ।।

जिसके हैं कई रूप जगत में ।
नारी का हर रूप महान ।।

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