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17 Apr 2020 · 1 min read

स्त्री

स्त्री सृष्टि है
जननी है
ममता है
पालक है
परिवार है

अनकहे भावों
को समझती है
पर अक्सर उसमे
उलझ जाती है

पुरुष कभी नही
पा सकता थाह
उसके अन्तर्मन की
क्योंकि जन्म से
विभिन्न भावों से
जूझती हुई वह
न जाने वो कब
हो जाती है
बहुत समझदार

पर बच्च्रे की तरह
खुद खोल देती है
अपने दिल के तार
स्त्री जिसको अपना
समझे एक बार

सलिल शमशेरी ‘सलिल’

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