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17 Apr 2020 · 1 min read

हंगामा कर दूंगा

मैं सर – ए – बज़्म में हंगामा कर दूँगा
नाम तेरा लूंगा और एक शेर पढ़ दूँगा ।

मैं नही करूँगा बाते इश्क़ में बड़ी – बड़ी
हां , तेरे लिए चाय बना दिया करूँगा ।

मैं तरन्नुम में करूँगा बयां हालात-ए-दिल
ग़ज़ल कहूँगा और किस्सा मुख़्तसर कर दूँगा ।

सताएगी तेरी याद जब भी बेहद मुझको
मैं बुझे चराग़ों को फिर से रोशन कर दूँगा ।

पूछेगा जब भी कोई राज़ मेरी कविता का
“चिंतन”, मैं नाम आधा करके उसे ना कर दूँगा ।

– चिंतन जैन

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