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10 Apr 2020 · 1 min read

मां सरस्वती की वंदना

ज्ञान का दीपक जला ये मोह माया मार दे।
ले बना चरणों का सेवक मातु मेरी शारदे।।

कर मेरा कल्याण माता भाग्य रेखा खीच दे।
ज्ञान गुण देने का माता तू मुझे आशीष दे।।

हूं पड़ा कबसे नरक में मातु तू उत्थान दे।
खोल दे तू दिव्य चक्षु मेट ये अज्ञान दे।।

हो गई जिसपर कृपा वो पा गया कल्याण है।
ज्ञान बिन भवकूप में ये डूबता इंसान है।।

इस भयानक विश्व में बस तू ही मेरी ढाल है।
शीश चरणों में झुकाता आज तेरा लाल है।।

“””” गोपाल पाठक “कृष्णा”
—————— गांधार नरेश(खंडकाव्य से)
“”बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं”””

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