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9 Apr 2020 · 1 min read

मत ठहरना एक पल भी पैर अपना रोककर

मत ठहरना एक पल भी पैर अपना रोककर।
जीत लोगे तुम जहां को नेक ताकत झोंककर।।

तुम विरोधी से कभी भी एकपल डरना नहीं।
सोच लेना क्या करेंगे ऐसे कुत्ते भौक कर।।

पैर चूमेगी तुम्हारे कामयाबी एक दिन।
एकक्षण हटना नहीं तुम राह अपनी छोड़कर।।

गर नजरिए से हमारे देखलो ये बात तो।
सार्थक जीवन तुम्हारा है सितारे चूमकर।।

कौन कहता है कि पाना है नहीं आसान कुछ।
मजिलें हैं सामने तुम आंख देखो खोलकर।।

प्यार से जीता सभी ने इस जहां को आजतक।
जीत पाया कौन है यूं दिल किसी का तोड़कर।।

कवि गोपाल पाठक (कृष्णा)
(बरेली,उत्तर प्रदेश)

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