*”दिव्य दर्शन”*
दिव्य दर्शन
हम सपरिवार गुजरात मे स्थित पावागढ़ वाली मैया के दर्शन के लिए गये थे वहां माँ का मंदिर ऊँचे पहाड़ी इलाकों में बसा हुआ है ।
सीढियां चढ़ने में जरा सी दिक्कत हो रही थी हमारे साथ में बुजुर्ग सासु माँ , ससुर जी, पतिदेव जी , बड़ी बेटी 10 साल की, छोटी बेटी ढाई साल की ही थी।
बच्चे तो बड़ी तेजी से सीढियां चढ़ने लगे थे छोटी बेटी में भी बहुत उत्साह था दादा जी उसे कहते बेटा गोदी में उठा लूं तो कहती नही मैं अकेली ही सीढ़ी चढ़ जाऊंगी दादा जी कहने लगे जब पैर दुखने लगे तो बताना आराम से धीरे धीरे सीढ़ी चढ़ो …!
सबसे पीछे मैं और मेरी सासू माँ सीढ़ी चढ़ रहे थे चढ़ते हुए जब उन्हें कुछ थकान महसूस होने लगी तो कहने लगी मेरे घुटने में बहुत दर्द हो रहा है अब ऊपर नही चढ़ पाऊंगी तुम सब लोग दर्शन करके आ जाओ …..! !
मैं यही पर बैठ जाती हूँ या धीरे धीरे नीचे उतर जाऊंगी ….! !
अचानक से उसी समय एक बुजुर्ग महिला आई उसने पूछा -क्यो क्या हुआ ….इस पर हमने बताया कि मम्मी जी के घुटने में दर्द हो रहा है अब माता के दर्शन नही कर पाऊँगी तभी उस महिला ने अपने कोमल हाथों से पैर को सहलाया ..मैंने भी मूव दर्द निवारक क्रीम लगाया और उस महिला ने कहा -इतनी दूर आई हो अब मात्र कुछ ही सीढियां शेष बची हुई है थोड़ी सी हिम्मत करो जय माता दी बोलते जाओ ….! !
फिर ऐसा माता का चमत्कार हुआ कुछ ही पलों में पैर का दर्द उड़न छू हो गया और सासु माँ जय माता दी ?बोलते हुए माता के दरबार पहुँच गई ।
ऊपर पहुँचने पर उस बुजुर्ग महिला को बहुत ढूंढा लेकिन नही मिली उस समय ऐसा कुछ महसूस हुआ था कि जैसे मानो साक्षात देवी के दर्शन हो गए हो ….! ! !
माता के दिव्य दर्शन करने के बाद में आराम से सीढियां उतर कर आ गए कोई परेशानी नही हुई अब छोटी बेटी दादाजी से कहने लगी ….दादाजी अब मेरे पैर दुखने लगे दादाजी ने पोती को गोदी में उठाकर जयकारा लगाने लगे जय माता दी ???
सच्ची श्रद्धा भक्ति ,विश्वास से माता के साक्षात दर्शन मिल जाते हैं
शशिकला व्यास ✍