Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2020 · 1 min read

पैदल ही मजदूर

कोरोना ने कर दिया,ज्यादा ही मजबूर ।
चले शहर से गाँव को पैदल ही मजदूर ।।

सड़कों पर दिखने लगा,जैसा हमें हुजूम ।
शंका है आए नही , …कोरोना फिर घूम ।।
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
2 Likes · 465 Views

You may also like these posts

एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
मनोज कर्ण
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रीतम दोहा अभिव्यक्ति
प्रीतम दोहा अभिव्यक्ति
आर.एस. 'प्रीतम'
सबकी जिंदगी में कोई ना कोई शख्स  ख़ास ज़रूर बनता है
सबकी जिंदगी में कोई ना कोई शख्स ख़ास ज़रूर बनता है
Rekha khichi
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Ruchi Sharma
उठ कबीरा
उठ कबीरा
Shekhar Chandra Mitra
चलते चलते
चलते चलते
Ragini Kumari
3108.*पूर्णिका*
3108.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दम है तो गलत का विरोध करो अंधभक्तो
दम है तो गलत का विरोध करो अंधभक्तो
शेखर सिंह
शेर
शेर
Abhishek Soni
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
इस जहां में अब वो, अजनबी नहीं मिलता..
इस जहां में अब वो, अजनबी नहीं मिलता..
sushil yadav
मदिरा सवैया
मदिरा सवैया
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
" दर्द "
Dr. Kishan tandon kranti
टॉम एंड जेरी
टॉम एंड जेरी
Vedha Singh
वाक़िफ़
वाक़िफ़
SATPAL CHAUHAN
সব মানুষের মধ্যেই ভগবান আছেন
সব মানুষের মধ্যেই ভগবান আছেন
Arghyadeep Chakraborty
#लिख_के_रख_लो।
#लिख_के_रख_लो।
*प्रणय*
Humsafar
Humsafar
Gunjan Sharma
🌹इश्क मेरी सल्तनत 🌹
🌹इश्क मेरी सल्तनत 🌹
साहित्य गौरव
हमराही हमसफ़र मेरे,
हमराही हमसफ़र मेरे,
Radha Bablu mishra
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मारगियां  हैं  तंग, चालो  भायां  चेत ने।
मारगियां हैं तंग, चालो भायां चेत ने।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
परहेज बहुत करते है दौलतमंदो से मिलने में हम
परहेज बहुत करते है दौलतमंदो से मिलने में हम
शिव प्रताप लोधी
*राममंदिर का भूमिपूजन*
*राममंदिर का भूमिपूजन*
Pallavi Mishra
https://15.235.203.15/ – Link vào nhà cái 188BET trang cá c
https://15.235.203.15/ – Link vào nhà cái 188BET trang cá c
88BET20315
आकांक्षा पत्रिका 2024 की समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका 2024 की समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
- तुम्हारी व्याख्या -
- तुम्हारी व्याख्या -
bharat gehlot
"तुम्हारी याद आई"
Lohit Tamta
Loading...