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19 Mar 2020 · 1 min read

गुरू

गुरूवर, तेरा कृपा हस्त शीश पर है,
तो ही यह जिंदगी आसान लगती है।
वरना जीवन में भरी यह नफरत,
सभी को बहुत परेशान ही करती है॥

तेरा ज्ञान रूपी शब्द का मार्ग,
प्रेरित करता है मुझे हरदम।
वरना कर लेता मैं तो जिंदगी में,
भरी जो तेने, उन खुशीयो को कम॥

तेरे नजरो कि असीम दौलत से ही तो,
मेरा यह जीवन धन्य-धन्य हो रहा है।
वरना यह जीव भी, इस जग के साथ,
किचड़ से किचड़ को ही धो रहा है॥

मुझ को लेकर शरण मे,
सतगुरु कर देना पार।
मै हुं तेरे दर का भिखारी,
किरपा कर देना मेरे नाथ॥

आपका अपना
लवनेश चौहान
बनेड़ा(राजपुर)

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