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18 Mar 2020 · 1 min read

जरा होश में आओ

ऐ मेरे देश के लोगों
क्यों आपस में लड़-मर रहे हो
जरा होश में आओ
ये क्या कर रहे हो
क्यों करते हो भेदभाव
क्यों करते हो जातिवाद
क्या इसीलिए हुआ था
ये देश मेरा आजाद

कितना रोयेगी
उन शहीदों की आत्मा
खून बहाकर किया जिन्होंने
फिरंगियों का खात्मा
स्वतंत्र हवा में थी जिनकी
दो डग चलने की आस
देख सके न अपना भारत
टूटी बीच में साँस
उसी चंचल और मस्त हवा में
क्यों जहर भर रहे हो
जरा होश में आओ
ये क्या कर रहे हो

उन्होंने क्या सोचा
और क्या हो गया
लगता है
उनके सपनों का भारत
कहीं खो गया
बुराइयों से हम
कितना डर गए हैं
हमें तो एक होना था
पर बिखर गए हैं
सोचो जरा
गर बिखर गए जो हम सब
बड़ी बदनामी होगी
हो जाएंगे गुलाम सभी
फिर सहनी गुलामी होगी
फिर से किसी और का ताना
हमको सहना होगा
देश में अपने ही हमको
गैरों सा रहना होगा
मुझे पता है
तुम ये नहीं चाहते
फिर बुराइयों के दलदल में
क्यों उतर रहे हो
जरा होश में आओ
ये क्या कर रहे हो

एकता की शक्ति को
जो साथ लेकर हम चलेंगे
हर और खुशियां बिखरी होंगी
और सब फूले-फलेंगे
किसी असहाय को न दें कष्ट
भ्रष्टाचार को करें समूल नष्ट
नेताओं और अमीरों की जूतियों में
क्यों नाक रगड़ रहे हो
जरा होश में आओ
ये क्या कर रहे हो

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