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18 Mar 2020 · 2 min read

माँ

भ्रूण रूप ले गर्भ में आया
माँ की है वरदान ये काया

माँ है रचयिता माँ जननी है
माँ के दम पर सृष्टि बनी है

माँ है धरती माँ अम्बर है
माँ बच्चे का पहला घर है

रचती रहती तन सुन्दर जो
माँ की कोख ही है ईश्वर वो

माँ कुदरत की अमोघ शक्ति है
हृदयांतर की अमिट भक्ति है

माँ है मस्जिद माँ ही मंदिर
माँ गुरुद्वारा माँ गिरजाघर

माँ अद्भुत है माँ अनुपम है
दैवी शक्ति का संगम है

तीव्र धूप में छत्र सघन है
माँ का आँचल गोवर्धन है

माँ की दुआ हर सच होती है
माँ की गोद कवच होती है

माँ पूजा है माँ मन्नत है
माँ के चरण में ही जन्नत है

माँ गीता है माँ गंगा है
माँ ने ही जीवन रंगा है

दूध पिलाती मल धोती है
संस्कार दे कल धोती है

अक्षर-अक्षर शब्द बनाए
माँ ही प्रथम गुरू कहलाए

रोशन तारा और न कोई
माँ से प्यारा और न कोई

इकलौता सच्चा प्यार है माँ
जीवन का आधार है माँ

कष्ट सभी सह लेती है ये
दुख खुद से कह लेती है ये
सबसे उज्जवल सबसे निर्मल
सबसे प्यारी सबसे सुन्दर
माँ प्रताप से घबराता है
ऊँचा पर्वत गहरा सागर

माँ के जैसा बोल न कोई
माँ की तरह अनमोल न कोई

माँ सीपी की सुंदर मोती
माँ अखंड सूरज की ज्योती

माँ चंदा की शीतलता है
माँ नदियों की चंचलता है

माँ पुष्पों की पावन खुशबू
माँ का अर्चन करें स्वयं भू

माँ है शीतला माँ काली है
माँ दुर्गा शेरोंवाली है

आओ जीवन सफल बनाएं
हम सब माँ को शीश झुकाएँ

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