*रोज सुबह सूरज-सा उग कर आता है अखबार (हिंदी गजल)*
रोज सुबह सूरज-सा उग कर आता है अखबार (हिंदी गजल)
________________________
1)
रोज सुबह सूरज-सा उग कर आता है अखबार
और शाम तक पुड़िया में बॅंथ जाता है अखबार
2)
बड़ी-बड़ी खबरें पहले पन्ने का शीर्ष सजातीं
क्या चल रहा विश्व में यह बतलाता है अखबार
3)
बड़े शौक से जिसे खरीदा मॅंहगे दामों में
वह रद्दी कुछ देर बाद कहलाता है अखबार
4)
नहीं सिर्फ सोलह प्रष्ठों में खबरें यह पहुॅंचाता
भाषा का भी ज्ञान सदा करवाता है अखबार
5)
वैसे तो रद्दी ही होते हैं अखबार पुराने
पर अतीत अनदेखा भी दिखलाता है अखबार
6)
कलम हाथ में लेकर करता काम सैनिकों जैसा
कैसे चौकीदारों-सा चिल्लाता है अखबार
7)
सबको ही है मोबाइल पर पोस्ट डालना आता
बुलेट ट्रेन-सा हर कोई दौड़ाता है अखबार
_______________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451