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15 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

कभी आंखो की मरकज कभी किरकिरा हो गया
महफ़िल में हंसना तनहाई में रोना सिलसिला हो गया
किस कदर आया है तुफान जिन्दगी की राहों में “नूरी”
मेरे तरह भी तन्हा पूरा काफिला हो गया है ।
नूरफातिमा खातून “नूरी”
१५/३/२०२०

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