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15 Mar 2020 · 1 min read

मेरे लिखे को मेरा बयान ही समझना

मेरे लिखे को मेरा बयान ही समझना
कब्र को मेरे, मेरा आरामगाह ही कहना

जब जिंदगी है हिर्ज के शख्त हाथों में
मौत को मेरी वस्ल की रात ही समझना

रहेंगी कुछ ख्वाहिशें अधूरी मेरी, बाद मेरे
प्रीतम के नाम का उसे खत ही समझना
~ सिद्धार्थ

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