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27 Feb 2020 · 1 min read

आहट

हर हिरदय में अकुलाहट है, हर वाणी में कड़वाहट है।
हर आँख आग का गोला है हर मस्तिष्क मे झुँझलाहट है।
ये शोर शराबा भीड़भाड़ ये रक्तपात ये आगजनी ।
संयोग मात्र नहीं है ये, ये गृहयुद्ध की आहट है।।

प्रदीप कुमार

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