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10 Jan 2020 · 1 min read

आज फफक कर हिन्दी रोई (चौपाई)

आज दिवस है हिन्दी भाई।
देता हूँ मैं तुम्हें बधाई।।
दुनिया में ना भाषा ऐसी।
मेरी हिन्दी भाषा जैसी।।

पर नेता बस करते वादा।
कभी रहा ना नेक इरादा।।
वरना होता आज न ऐसे।
हिन्दी पर होता है जैसे।

करते हैं बस वहीं बड़ाई।
मंचों पर ही करें लड़ाई।।
संसद में जब होते बैठे।
सांप सूंघ जाता हो जैसे।।

इनके इन करतूतों से ही।
आज फफक कर हिन्दी रोई।।
नेताओं ने मार दिया है।
इसका तो संहार किया है।।

छाई है क्यों “जटा” निराशा।
दिखती है ना कोई आशा।।
बात किसे ये मैं बतलाऊँ।
किसकों अपना दर्द दिखाऊं।।

जटाशंकर “जटा”
१०-०१-२०२०

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