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9 Dec 2019 · 1 min read

कब बदलेंगे ढंग !!

जैसे ही मैंने कहे, सत्य भरे दो बोल !
झपटे झूठे भेड़िये, अपनी बाहें खोल !!

चूहे बनकर जी रहे, हम बिल्ली के संग !
कब बदलेगी सोच ये, कब बदलेंगे ढंग !!

जब भी चुनती बिल्लियां, बन्दर को सरदार !
हिस्सा उनका चाटता, उनका करे शिकार !!

तन-मन जिनके वासना, जीवन है अश्लील !
अपने पाक चरित्र की, देते दिखे दलील !!

Language: Hindi
479 Views

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