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6 Oct 2019 · 1 min read

चाँद से मुलाक़ात

आज अचानक कई दिन बाद..
चाँद से मुलाक़ात हुई..
चाँद थोड़ी फुरसत से था..
थोड़ी गर्मजोशी.. थोड़ा तकल्लुफ..
मेरा हाथ पकड़ा… पकड़ा क्या..
लगभग खींचते हुए..
अपने घर ले गया..
घर काफ़ी बड़ा था.. पर
सामान कुछ ज्यादा नहीं था..
ड्राइंग रूम में चांदनी का कालीन
बिछा था..
दीवारें कुछ अजीब सा सन्नाटा लिए..
पर उनके कान नहीं थे..
तभी रात..
चाय लेकर आ गई..
रात कुछ अनमनी उदास सी लगी..
चाँद थोड़ा सहज हो गया..
कुछ समझने की कोशिश की..
अचानक याद आया..
कल अमावस है..

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