गज़ल
हिन्दी भी रियायत ले आदत सी जरूरत हो
हिंदी से मुहब्बत हो हिंदी की इबादत हो.
ले संगत महारत की शोहरत सी दावत हो
हिन्दी में लिखावट की आदत सी हरकत हो.
न सोच शरारत ले गफलत बन आदत हो
हिन्दी अमानत पाई उल्फत सी बहुमत हो.
न कोई ख़िलाफ़त हो न कोई सियासत हो
हर देश निवासी की संगत से किस्मत हो.
ये राष्ट्र की एकता सूचक जान मुहब्बत हो
बिंदी की हिफाज़त हो नफरत से राहत हो.
हिंदी ही बस बोलें हम हिंदी ही आदत हो
पूजें “मैत्री”हिंदी को हिंदी ही इबादत हो.
रेखा मोहन १४/९/१९