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10 Sep 2019 · 1 min read

नन्हीं चींटी

मैं नन्ही नन्ही सी चींटी
काम बड़े कितने करती हूँ
चलती ही बस रहती हरदम
लेकिन कभी नहीं थकती हूँ

होते हैं कितने विशाल ये
अपने प्यारे हाथी राजा
इनके पैरों तले कुचलकर
बज जाता सबका बाजा
पर नन्हीं सी होकर भी मैं
धूल चटा उनको सकती हूँ
मैं नन्हीं नन्हीं सी चींटी
काम बड़े कितने करती हूँ

गिर गिर कर भी नहीं हारती
यत्न बराबर अपने करती
कोशिश करने वालों की ही
जीत यहाँ पर होकर रहती
चलती साथ सभी को लेकर
नहीं अकेली मैं चलती हूँ
मैं नन्हीं नन्हीं सी चींटी
काम बड़े कितने करती हूँ

बारिश में मेरे घर में भी
पानी कितना भर जाता है
जाड़ों में भी घर से बाहर
नहीं निकलना हो पाता है
आने वाले कल की खातिर
मैं भंडार भरा रखती हूँ
मैं नन्हीं नन्हीं सी चींटी
काम बड़े कितने करती हूँ

10-09-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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