लघुकथा -विश्वाश और समपर्ण
बच्चों !’आप ठीक से बैठो बिल्कुल सीधी नजर और पूरा ध्यान मेरी आवाज़ और अपनी सोच पर हो’, कहती हरलीन कक्षा मे कहानी पढा रही थी | आज अध्यापक दिवस पर अपनी पसंदीदा मैम् बन उनकी ही हाव-भाव पर दसवी की छात्रों को तरह बार –बार दुपट्टा सम्भाल रही थी|”श्यामपट का उपयोग भी कर रही थी| तभी किसी बच्चे ने प्रश्न किया दीदी ‘हमे गुरु -श्रदा पर के बारे में कुछ बताए?”’हरलीन बोली ,सुनो! ‘एक नौकर अध्यापक के घर में काम करता था, मालकिन की खाने में मदद किया करता था |उनसे खाने की हर बिधि को सीखता और लिखता और धीरे –धीरे घर ट्राई करता|एक दिन अच्छा शैफ बन गया | अच्छे टू स्टार होटल का स्टार हो गया| आज के दिन की सीख अपने गुरु पर विश्वाश और समपर्ण होना चाहिए| हम गुरु को मन से नमन करते है| | गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
आप को भी शिक्षक दिवस की ढेरों शुभकामनाएं।।
रेखा मोहन ५/९/१९