Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2019 · 2 min read

मौलाना का जिन्न

बात कोई बहुत ज्यादा पुरानी नहीं है। एक मौलाना साहब कुछ लोगों को घेरे बैठे हुए थे। अपने करिश्मात और किए गए बड़े-बड़े कारनामों का बखान अपनी ही जुबान से कर रहे थे।

बहुत देर तक यह नजारा देखने के बाद आखिर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पूछ ही लिया, “मौलाना साहब! आपके पास जरूर कोई ताकत होगी जिसके जरिए आप इतने बड़े-बड़े कारनामों को अंजाम दे पाते हैं।” इतना सुनते ही मौलाना की बांछें खिल गई और उन्होंने अपने गुणगान मैं इजाफा कर दिया। मौलाना के बीच हुई बातचीत को मैं यहां पेश कर रहा हूं-

सवाल: आपके पास ऐसी कौन सी ताकत है जिसके जरिए आप लोगों की समस्याओं का समाधान करने में कामयाब रहते हैं?
जवाब: मेरे कब्जे में जिन्नात हैं। इसके लिए मैंने 40 दिन का चिल्ला किया था। इस दौरान पूरे 40 दिन तक एक घर में तन्हा रह कर इबादत में लगा रहता था। वहीं पर जौ की रोटी से गुजारा किया। चिल्ले के दौरान किसी से बोलचाल तक का परहेज करना पड़ता है।

सवाल: चूंकि चिल्ला करने के दौरान आपको एक मकान में तन्हा रहना पड़ा था। इसलिए लगभग 6 जुमों की नमाज भी आपने कजा की होगी। क्योंकि जुमे की नमाज मस्जिद मैं जमात और खुतबे के साथ पढ़ी जाती है।
जवाब: नहीं, ऐसा नहीं है। मैं जुमा की नमाज पढ़ने मस्जिद ही जाता था। हां, इस दौरान किसी से भी बातचीत नहीं करता था।

सवाल: जब बातचीत नहीं करते थे तो आप किसी के सलाम का जवाब भी नहीं देते होंगे… और सलाम का जवाब नहीं देना बहुत बड़ा गुनाह माना गया है।
जवाब: मैं सलाम का जवाब जरूर देता था लेकिन इशारे से।

सवाल: खैरियत पूछने पर आप किसी की बात का जवाब भी नहीं देते होंगे।
जवाब: मैं इशारे से जवाब दिया करता था।

सवाल: फिर तो 40 दिन तक आप किसी की मय्यत, नमाजे जनाजा या दफन में भी शरीक नहीं हुए होंगे?
जवाब: मैं कहीं भी जाता था या नहीं, आपको इससे क्या गरज?
आखिर आप चाहते क्या हैं? बातचीत का क्या मकसद है? मेरे पास इतना फालतू वक्त नहीं है, जो आपके हर सवाल का जवाब देता रहूं। (अटकने के बाद मौलाना ने अपना पल्ला झाड़ना ही मुनासिब समझा)

© अरशद रसूल

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 328 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जीवन का सितारा
जीवन का सितारा
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
Ajit Kumar "Karn"
विरह्नि प्रियतमा
विरह्नि प्रियतमा
pradeep nagarwal24
हमारी रूह ले गए हो।
हमारी रूह ले गए हो।
Taj Mohammad
मज़दूर
मज़दूर
आशा शैली
अगर कोई छोड़ कर चले
अगर कोई छोड़ कर चले
पूर्वार्थ
सताता है मुझको मेरा ही साया
सताता है मुझको मेरा ही साया
Madhuyanka Raj
"यहां आम बनने में ख़तरा बड़ा है।
*प्रणय प्रभात*
*दो नैन-नशीले नशियाये*
*दो नैन-नशीले नशियाये*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
कोई बात नहीं, कोई शिकवा नहीं
कोई बात नहीं, कोई शिकवा नहीं
gurudeenverma198
*The Bus Stop*
*The Bus Stop*
Poonam Matia
तुझसे लगी लगन
तुझसे लगी लगन
Vibha Jain
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
Neelofar Khan
एक मैं ही तो नहीं
एक मैं ही तो नहीं
Shivkumar Bilagrami
हम वह लड़के हैं जनाब
हम वह लड़के हैं जनाब
पूर्वार्थ देव
बचपन -- फिर से ???
बचपन -- फिर से ???
Manju Singh
आवाज
आवाज
Sumangal Singh Sikarwar
3907.💐 *पूर्णिका* 💐
3907.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
विनम्रता, साधुता दयालुता  सभ्यता एवं गंभीरता जवानी ढलने पर आ
विनम्रता, साधुता दयालुता सभ्यता एवं गंभीरता जवानी ढलने पर आ
Rj Anand Prajapati
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
Rajesh Kumar Arjun
शर्त
शर्त
Shivam Rajput
मौन जीव के ज्ञान को, देता  अर्थ विशाल ।
मौन जीव के ज्ञान को, देता अर्थ विशाल ।
sushil sarna
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
Dr MusafiR BaithA
वक़्त  एहसास  ये  करा  देगा।
वक़्त एहसास ये करा देगा।
Dr fauzia Naseem shad
काफिला
काफिला
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"आखिर में"
Dr. Kishan tandon kranti
घर की चौखट से
घर की चौखट से
इशरत हिदायत ख़ान
हे खुदा से प्यार जितना
हे खुदा से प्यार जितना
Swami Ganganiya
Loading...