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25 Aug 2019 · 1 min read

किसान

“किसान”
सावन वर्षा देख कर, हर्षित हुआ किसान।
पानी की उपलब्धता, अब बढ़िया होगा धान।।
उचित मूल्य की बात है, सबकी एक हो राय।
केन्द्र कहे या राज्य दे, अबकी लो जबराय।।
बिचौलियों की मार है, तौल केंद्र पर देख।
कृषक बेचारा क्या करे, सरकारी अभिलेख।।
इसका पैसा उसका बैंक, करते यही दलाल।
स्वयं कमीशन खा रहे, गाल हो रहे लाल ।।
तन से अपने रौंद कर, माटी कर दे सोन।
ऐसी क्या बाजीगरी , कम न होता लोन।।
हांड कंपाती ठंड हो या आग बरसती धूप।
बरषा में वो भीगता, त्याग मोह रंग रूप।।
अन्नदेव यदि रुष्ट हों, सबके निकलें प्राण।
सबको भोजन दे रहे, अपने देकर प्राण।।

Language: Hindi
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