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24 Aug 2019 · 1 min read

मेरा हिस्सा है

मुझे में ही जो सांसे लेता है.

मुझमे ही पलता और निखरता है

वो यार है मेरा, वो प्यार है मेरा

जो मुझ में ही निस दिन तांका झांकी करता है

आधा हिस्सा बनकर मेरा वो रहता है

सांसों का किस्सा बनकर रहता है

दिल मेरा शायद मुझको ही तो

पुर्दिल-पुर्दिल कहता फिरता है

वो छिटक के दूर कहाँ मुझ से कभी रहता है

वो मुझमे ही, मेरा दिल बन के धड़का करता है

उस से मिलता जो प्रेम का आबोदाना

कहाँ कहीं और मुझे उससा मिलता है

पुर्दिल आधा होकर भी पूरा मुझको करता है

पुर्दिल प्रेम का छोर धरे तो

सिद्धार्थ प्रतिकार में पलता है

मन संग मेरे दोनों संग-संग चलता है !

…सिद्धार्थ

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