Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Aug 2019 · 1 min read

बुरी लत

तुम्हें खुद को खुदा समझने की
ये जो बुरी लत लगी है
दरकिनार करके इंसानियत को
नरपिशाच हो जाने की जो भूख जगी है
तुम्हें रसातल तक लेके जाएगी,
तुम्हें और नीचे, बहुत नीचे
अंधरे तक धकेल आएगी
फिर बाहें धरना, अंधेरे का
खुद को नोचना, गाली देना
खुद पे ही फब्तियां कसना
जपना फिर तुम राम राम
जल जाएगी दुनिया तमाम
फिर किस से पूछोगे तुम
नाम क्या है ? जात क्या है?
धर्म तुम्हारा क्या है?
ढूंढोगे किस किस का जाती प्रमाण?
तमस भरी अनंत कुएं में
पैरों के नीचे गर्म राख से
जब तुम कोई इंसानी पसली चुनोगे
उठा कर अपने कानों पे रखना
अपनों की हीं आवाज सुनोगे।
ये जमीन तो तुम्हारी अपनी होगी
ये जहां भी तुम्हारा अपना होगा
अंधेरे से हीं लिपट कर रोना
क्योंकि सूर्य तुम्हारा तुम्हारा सपना होगा…
…सिद्धार्थ

Loading...