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28 Apr 2019 · 1 min read

नजर

नज़र
तेरी तिरछी नज़र इस तरह पड़ी,
की दिल में हलचल मचा गए।
एक हसीं में इस दीवाना को,
मोहब्बत की शोला जगा गए।।
कई चेहरे तुझे देख के इस तरह गुजर गए।
मुझमें ऐसा क्या चीज है मेरा चेहरा उतार गए।।
कहीं चांद राहों में खोया,
कहीं चांदनी रात भटका गए।
मैं चिराग ओ भी बुझा हुआ,
मेरी रात कैसे चमका गए।।
इशारों इशारों में ही प्यार की नगमे बता गए।
मुझमें ऐसा क्या चीज है कि मुझसे दिल लगा गए।।
होंठो में उल्फत नाम हो गए,
आंखो में छलकता जाम हो गए।
तलवार की जरूरत वहां कैसे,
जहां नजरो से कत्ल-ए-आम हो गए।।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
‌मो . 812058782

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