मुक्तक
सियासत की जो भी ज़बाँ जानता है
बदलना वो अपना बयाँ जानता है,
चलो हम ज़मीं के करें ख़्वाब पूरे
हक़ीक़त तो बस आसमाँ जानता है
सियासत की जो भी ज़बाँ जानता है
बदलना वो अपना बयाँ जानता है,
चलो हम ज़मीं के करें ख़्वाब पूरे
हक़ीक़त तो बस आसमाँ जानता है