मुक्तक
जाने किस-किस को मददगार बना देता है
वो तो तिनके को भी पतवार बना देता है
इक इक ईंट गिराता हूँ मैं दिन भर लेकिन
रात में फिर कोई दीवार बना देता है
जाने किस-किस को मददगार बना देता है
वो तो तिनके को भी पतवार बना देता है
इक इक ईंट गिराता हूँ मैं दिन भर लेकिन
रात में फिर कोई दीवार बना देता है