मुक्तक
” सवालों के जंगल बनाने लगे हैं
वो अपनी दुकानें सजाने लगे हैं,
हमारे शहर के पुराने लुटेरे
नई बस्तियाँ अब बसाने लगे हैं “
” सवालों के जंगल बनाने लगे हैं
वो अपनी दुकानें सजाने लगे हैं,
हमारे शहर के पुराने लुटेरे
नई बस्तियाँ अब बसाने लगे हैं “