मुक्तक
यूँ सड़क तक छोड़ने भी आपको आते हैं लोग,
आपकी निंदा ही करते लौट कर जाते हैं लोग,
हर मसीहा को यहाँ सूली पे लटका दिए,
और फिर अपने किए पर ख़ुद ही पछताते हैं लोग”
यूँ सड़क तक छोड़ने भी आपको आते हैं लोग,
आपकी निंदा ही करते लौट कर जाते हैं लोग,
हर मसीहा को यहाँ सूली पे लटका दिए,
और फिर अपने किए पर ख़ुद ही पछताते हैं लोग”