मुक्तक
“जो रहे सबके लबों पर वो हँसी अब चाहिए,
बँट सके सबके घरों में वो खुश़ी अब चाहिए,
देखिए तो आज सारा देश ही बीमार है
हो सके उपचार जिससे वो जड़ी अब चाहिए “
“जो रहे सबके लबों पर वो हँसी अब चाहिए,
बँट सके सबके घरों में वो खुश़ी अब चाहिए,
देखिए तो आज सारा देश ही बीमार है
हो सके उपचार जिससे वो जड़ी अब चाहिए “