मुक्तक
“हवा भी क़ैद कर में होती कहीं जाने नहीं देते,
किसी के खेत पर बादल भी ये छाने नहीं देते,
सूरज चांद पर भी जो हुक़ूमत चल गयी होती,
सियासी लोग हर घर रोशनी आने नहीं देते “
“हवा भी क़ैद कर में होती कहीं जाने नहीं देते,
किसी के खेत पर बादल भी ये छाने नहीं देते,
सूरज चांद पर भी जो हुक़ूमत चल गयी होती,
सियासी लोग हर घर रोशनी आने नहीं देते “