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2 Feb 2019 · 1 min read

चुनें दिशा सुधरेगी दशा

चाहते किसे नहीं होती.
ख़्वाहिश कौन नहीं रखता.
पर पूरी उनकी कैसे होती.
जो सिर्फ़ उस पर निर्भर है.
कहकर छोड़ देता.

न खुद को परखा .
न खुदी को परखा.
वह सिर्फ़ गरीब कहलाता.
ऐसे भावों से बस मन हलका रहता.
वरन् प्रकृति अस्तित्व बिन.
खुदा भी अपना हक धरता.

जाओ कहीं भी मन्नतें रखने.
काजी मोहम्मद पुजारी अपना हक धरता.
महेन्द्र कौन है तुमको विचलित करता.
बस वजह ये मनोबल आत्मविश्वास को.
आयोजित जाल समक्ष कम है समझता.

चुनें दिशा सुधरेगी दशा.

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