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30 Jan 2019 · 1 min read

मुक्तक

“बड़ी मुश्किल से छुपाया है कोई देख न ले
आँख में अश्क जो आया है कोई देख न ले,
डर रही हूँ कि सर-ए-शाम तेरी आँखों में
मैंने जो वक़्त गुज़ारा है कोई देख न ले “

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