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26 Jan 2019 · 1 min read

रजा चाहिए

नजर की तेरी मुझको रजा चाहिए
बाहों मे तू रहे ऐसी सजा चाहिए
जिदंगी मुझसे हर घड़ी रहती खफा
समझ पाया नही इसे क्या चाहिए
जरुरतो ने मुसाफिर बना है दिया
थक गया जिंदगी आसरा चाहिए
ये सुना है हंसने से रोग दूर होते है
मुफ्त का इलाज है हंसना चाहिए
बहुत मांगा है रब से लेकिन ना मिला
अपनी इच्छाओ का दायरा चाहिए
समझे मुझे ऐसा हमसफ़र चाहिए
मुहोबत के सफर मे वफा चाहिए
बहुत आसान है जिदंगी को जीना
प्यार ही प्यार बस मिलना चाहिए
पार होगा वो साहिल जो राह मे हो
आप सबकी मुझे बस दुआ चाहिए

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