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13 Jan 2019 · 1 min read

कलम

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तख्त ताज को पलट दे,कलम चले जब खूब।
लिखे हुए हर भाव में,जाते हैं सब डूब।१।

उठा कलम हिम्मत भरी घुटकर जीना छोड़।
रखना मंज़िल पर कदम, दिशा पवन की मोड़।।

जब भी कागज़ पर चले, करता कलम कमाल।
प्रहार शब्दों से करे, जग में करे धमाल।२।

उठा कलम हिम्मत भरी , घुटकर जीना छोड़।
रखना मंज़िल पर कदम, दिशा पवन की मोड़।।

अंगारे उगले कलम, दिखता अभिनव रूप।
सुंदर सा रचना लिखे, कलम ज्ञान का कूप।।

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-वेधा सिंह?

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