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7 Jan 2019 · 1 min read

गजल

बात सच थी मगर झूठ बताना पड़ा ।
वो दुःखी थी इसीलिए हंसाना पड़ा ।।

प्यार दिल से होती है बातों से नहीं ,
दिल में जगा नहीं पर निभाना पड़ा।

तुम तुच्छ समझकर मूंह फेरते रहो,
इसी वजह से परचम लहराना पड़ा।

तुम हंसते हो जो औरों पर हमेशा,
तुम पर हंसता है कोई बताना पड़ा।

समझ कितनी है तुझमें बताओ नहीं,
तुम्हारी समझ को सामने लाना पड़ा।

बहते हैं आंसू जो तुम्हारी आंखों से,
खबर मुझे भी है ये समझाना पड़ा।

दर्द अपना चाहे जितना छुपा लो तुम,
अक्स उसका ‘पूनम’ को दिखाना पड़ा।

पूनम झा
कोटा राजस्थान

9414875654

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