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31 Dec 2018 · 1 min read

नयापन क्या है

नव वर्ष के जश्न मनाते लोग
हर तरफ हंगामा शोर क्यो मचा रखा है
मुझे ये तो बता, इसमें नयापन क्या है
लोग वही होंगे सोच वही रहेंगे
प्रवृति निम्न संस्कार विमुख होंगे
सूर्य चमकेगा आकाश में
जमी पर अंधेरा छाए रहेंगे
चमकेंगे आकाश में तारें
जमी पर दुख के पहाड़ होंगे
ना आसमा बदला ना बदली जमीन
बदल गया गैरत और जमीर
साल बदला है लोग वही
संगत बिगड़ेगी या रंगत बदलेगा
या आचरण और संस्कार का
क्षय होगा नाश होगा
वक्त की यादें कभी मीठी
तो कभी कड़वी हो जाएगा
यही तो होता आया अब तक
नव वर्ष के जश्न में डूबे
मुझे ये बता, इसमें नयापन क्या है
कोई गम से भीगें कोई शराब में डूबे
कोई दावत उड़ाये,कोई भूखा सो जायें
आरोप-प्रत्यारोप आक्षेप- साक्षेप
में लीन-तल्लीन है जीवन
करते प्रतिज्ञा लेते संकल्प
ना बदले थे, ना बदलेंगे हम
बदलते साल बदलते कैलेंडर
खुद को ना बदल पायें हम
नव वर्ष में जश्न में डूबे
मुझे ये बता, इसमें नयापन क्या है

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