*बड़े नखरों से आना, शीघ्रता रहती है जाने की (हिंदी गजल/ गीतिका)*

बड़े नखरों से आना, शीघ्रता रहती है जाने की (हिंदी गजल/ गीतिका)
_________________________
1
बड़े नखरों से आना, शीघ्रता रहती है जाने की
हमें भी पड़ गई आदत है, अब नखरे उठाने की
2
यहाँ के लोग दीवाने, यहाँ पागल ही रहते हैं
जिसे देखा नहीं, सबको है धुन उसको ही पाने की
3
अजब-सा है नशा आता, अजब-सा चैन छाता है
यही पहचान होती है, हमेशा उनके आने की
4
कभी बिजली चली जाती, कभी पानी नहीं आता
किसे गरमी के मौसम में, है फुर्सत मुस्कुराने ही
5
किसी पौधे को केवल रोपना काफी नहीं होता
असल होती जरूरत है, उसे पानी लगाने की
6
फलों को खाओगे तो, पीढ़ी-दर-पीढ़ी ये फल देंगे
नहीं अच्छी है आदत, पेड़ को ही काट खाने ही
7
लगाया पेड़ था हमने, मौहब्बत-भाईचारे का
चुनावों को है रहती फिक्र, बस उसको गिराने की
_________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451